मिल मालिक की सारी अनुनय-विनय बेकार गई। देश के प्रधानमंत्री ने कम मूल्य की साड़ियाँ ही दाम देकर अपने परिवार के लिए खरीदीं। ऐसे महान थे शास्त्रीजी, लालच जिन्हें छू तक नहीं सका था।
व्यक्ति गुस्से से तिलमिला उठा और बोला तुम्हें पता नहीं की मुझे बड़ा काम करने जाना है, बड़ा आदमी बनना है, मुझे जरा जल्दी है।
And what was far more surprising is always that a person friend told me she experienced a timeshare in Paris that Value only $one hundred twenty each week and was accessible on my birthday. Oh, and it absolutely was a few miles within the Eiffel Tower! As my spouse searched for flights he discovered that we had fifty,000 skymiles we didn’t know we experienced (3 younger little ones, we hadn’t flown anywhere in a long time). The grandparents agreed to just take the children, who had under no circumstances been from us overnight. For my 40th birthday, I ran a few miles towards the Eiffel Tower and back to our condo.”
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बड़े काम के चक्कर में तुम यह भी भूल गए की छोटे-छोटे कामों को करके ही बड़ा काम किया जाता है। छोटे कामों से ही तो बड़े कामों की नीव रखी जाती है, और बड़ा बना जाता है। अब तुम ही बताओ की मेरे सेवा भाव में सहयोग देने के तुम मेरे शिष्य बन सकते हो क्या।
सपनों को पूरा करने के लिए कभी हार नहीं माननी चाहिए।
“At forty many years outdated, and getting struggled with being overweight all my everyday living (I was at five’six″ and weighed 360 lbs), I lost and stored off greater than 180 lbs by utilizing hypnosis. I didn’t want to invest my complete lifetime getting unhappy, depressed and obese. I couldn’t stand it any longer And that i knew if I didn’t improve I used to be going to die. I preferred a lot more. I planned to be delighted, healthier and filled with really like and life. From that point of view, I started out on my journey to vary how my head thought and worked.
'नहीं भाई, मैं भेंट में नहीं लूँगा', शास्त्रीजी स्पष्ट बोले।
चूंकि शेर हर को मारने वाला था, एक हिरण उस रास्ते से भागा। शेर लालची हो गया। उसने सोचा;
कृष्ण ने सुदामा को गले लगाकर उनका स्वागत किया और उनके साथ अत्यंत प्रेम और सम्मान का व्यवहार किया। सुदामा, कृष्ण के लिए मिले गरीब आदमी के चावल के नाश्ते से शर्मिंदा हैं, इसे छिपाने की कोशिश करते हैं। लेकिन सर्वज्ञ कृष्ण सुदामा से उनका वरदान मांगते हैं और अपने पसंदीदा चावल स्नैक्स खाते हैं जो उनके दोस्त उनके लिए लाते हैं।
दोस्तों “आम का मोह” कहानी का तात्पर्य या प्रेरणा, सन्देश यह है कि here जरुरत से ज्यादा मोह आपको व्यर्थ बना सकता है, वो कहते हैं ना कि कही पहुंचे के लिए कही से निकलना बहुत जरुरी होता है।
अपने मन और आत्मा में प्रेरक ऊर्जा भरने तथा अपने जीवन को सहीं दिशा देने के लिए यह लेख पढ़ें –
सही राह – भगवान बुद्ध की प्रेरणादायक कहानी
उसने गुरूजी से कहा – गुरूजी, मै इतने समय से आपसे ज्ञान अर्जित कर रहा हूँ आपके साथ रहकर कितना कुछ ज्ञान की बातें सीखा है मैने फिर भी आप मेरे सवालों का ऐसा उत्तर दे रहे हैं, आपके इस उत्तर ने मुझे अत्यंत दुःख पहुंचाया है।